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घर का नक्शा वास्तु के अनुसार क्यों होना चाहिए?

By Naveen • May 17, 2025

भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्राचीन काल से ही वास्तु शास्त्र को जीवन का एक अहम हिस्सा माना गया है। चाहे घर का निर्माण हो, मंदिर की स्थापना, व्यवसायिक स्थल की रचना या फिर किसी भी निर्माण कार्य की योजना – वास्तु शास्त्र की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। आज के इस आधुनिक युग में भी जब विज्ञान और तकनीक ने विकास की ऊँचाइयों को छू लिया है, तब भी वास्तु शास्त्र का महत्व कम नहीं हुआ है। लोग आज भी मानते हैं कि यदि घर का नक्शा वास्तु शास्त्र के अनुसार तैयार किया जाए तो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहता है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि घर का नक्शा वास्तु के अनुसार क्यों बनाना चाहिए, इसके पीछे की वैज्ञानिकता क्या है, और यह किस प्रकार हमारे जीवन को प्रभावित करता है।

वास्तु शास्त्र क्या है?

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और संरचनात्मक डिजाइन की दिशा, स्थान, ऊँचाई, क्षेत्रफल, ऊर्जा प्रवाह आदि का अध्ययन करता है। 'वास्तु' शब्द 'वस्' धातु से बना है, जिसका अर्थ है – "बसना" या "रहना"। शास्त्र का अर्थ है "विज्ञान"। इस प्रकार 'वास्तु शास्त्र' का अर्थ हुआ – रहने योग्य स्थान की वैज्ञानिक रचना।

यह शास्त्र पाँच महाभूतों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – के संतुलन के आधार पर रचना की सलाह देता है।

घर के नक्शे में वास्तु का महत्व

जब हम एक नया घर बनाने की योजना बनाते हैं, तो सबसे पहले हमारे मन में आता है – घर मजबूत हो, सुंदर हो, सुविधाजनक हो। लेकिन क्या आपने सोचा है कि यदि घर की दिशा और कमरे सही स्थान पर न हों तो उस घर में रहने वालों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? यहाँ पर वास्तु शास्त्र का महत्व सामने आता है। आइए जानते हैं कि क्यों वास्तु के अनुसार घर का नक्शा बनाना जरूरी है:

1. सकारात्मक ऊर्जा का संचार

वास्तु के अनुसार जब घर की दिशा, कमरे और वास्तु तत्व सही स्थान पर होते हैं तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा हमारे मन, शरीर और विचारों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।

उदाहरण के लिए – ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को सबसे पवित्र दिशा माना गया है। यदि यहाँ पूजा कक्ष बनाया जाए तो आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

2. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य

वास्तु के अनुसार दिशा और स्थान तय करने से घर में हवा और रोशनी का बेहतर संचार होता है। इससे घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। जैसे कि रसोई घर को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में बनाना चाहिए क्योंकि यह अग्नि तत्व का स्थान है। यदि रसोई पश्चिम या उत्तर में बनती है तो गैस, गर्मी और धुएँ के कारण स्वास्थ्य पर असर हो सकता है।

3. पारिवारिक शांति और संबंधों में सामंजस्य

एक गलत दिशा में बना शयनकक्ष या बैठक कक्ष रिश्तों में टकराव और तनाव उत्पन्न कर सकता है। वास्तु के अनुसार दिशाओं की सही उपयोगिता से परिवार में तालमेल बना रहता है और घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण रहता है।

4. आर्थिक समृद्धि

वास्तु दोष घर में आर्थिक हानि, नुकसान, व्यवसाय में बाधा जैसी स्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है। अगर तिजोरी गलत दिशा में हो, तो उसमें रखा धन टिकता नहीं है। इसलिए धन संग्रह के लिए उत्तर दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है।

5. आध्यात्मिक विकास

वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्मित घर में रहने से आत्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होता है। यह हमारे जीवन के उच्चतर उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है।

 घर के नक्शे में कौन-कौन सी बातें वास्तु के अनुसार होनी चाहिए?

जब घर का नक्शा तैयार किया जाता है, तो नीचे दिए गए बिंदुओं का वास्तु अनुसार निर्धारण आवश्यक होता है:

1. मुख्य द्वार की दिशा

मुख्य द्वार को वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार शुभ माना जाता है। यह दिशा ऊर्जा के प्रवेश की होती है। दक्षिण या पश्चिम दिशा में द्वार होने पर विशेष वास्तु उपाय करने की सलाह दी जाती है।

 2. रसोई घर (किचन)

रसोई को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में बनाना चाहिए। यदि यह उत्तर-पूर्व या उत्तर में हो, तो घर में रोग, विवाद और आर्थिक परेशानी उत्पन्न हो सकती है।

3. शयनकक्ष (बैडरूम)

मुख्य शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। पूर्वोत्तर दिशा में शयनकक्ष मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।

4. पूजा कक्ष

पूजा कक्ष को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रखना अत्यंत शुभ होता है। यह दिशा आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होती है।

 5. स्नानघर और शौचालय

इनका स्थान वास्तु के अनुसार निर्धारित होना अत्यंत आवश्यक है। अशुद्ध दिशा में शौचालय बनने से गृह क्लेश, रोग और मानसिक अशांति उत्पन्न हो सकती है। उत्तर-पश्चिम दिशा में शौचालय और स्नानघर का निर्माण उचित माना गया है।

6. जल स्रोत

टंकी, कुआँ, बोरवेल आदि उत्तर-पूर्व में होना चाहिए। यह जल तत्व की दिशा है।

7. सीढ़ियाँ

घर की सीढ़ियाँ दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम में बनानी चाहिए और घड़ी की सुई की दिशा में चढ़नी चाहिए। उत्तर-पूर्व में सीढ़ियाँ नहीं बनानी चाहिए।

वास्तु दोष और उनके परिणाम

अगर घर के नक्शे में वास्तु दोष हो, तो निम्नलिखित परिणाम सामने आ सकते हैं:

* घर में बार-बार बीमारियाँ

* पारिवारिक कलह और झगड़े

* बच्चों की पढ़ाई में बाधाएँ

* आर्थिक संकट

* मानसिक तनाव

* असफलता और कार्यों में रुकावट

क्या वास्तु अंधविश्वास है?

बहुत से लोग मानते हैं कि वास्तु एक अंधविश्वास है। लेकिन यदि वास्तु की गहराई में जाकर अध्ययन किया जाए, तो पता चलता है कि यह एक विज्ञान है। यह सूर्य की दिशा, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र, ऊर्जा के प्रवाह, वेंटिलेशन, प्रकृति के पंच तत्वों के संतुलन आदि पर आधारित है। वास्तव में, यह हमारे पूर्वजों की वैज्ञानिक दृष्टि और अनुभव का परिणाम है।

आधुनिक युग में वास्तु की प्रासंगिकता

आजकल अपार्टमेंट, फ्लैट, कॉम्प्लेक्स, और सीमित भूमि क्षेत्र में मकान बन रहे हैं। ऐसे में हर दिशा का पूरा पालन करना कठिन हो गया है। लेकिन फिर भी, कुछ वास्तु सिद्धांतों को अपनाया जा सकता है:

* घर में साफ-सफाई और रोशनी का ध्यान रखें

* पौधे, चित्रकला, जल तत्व आदि से ऊर्जा का संतुलन बनाएँ

* वास्तु दोष निवारण के लिए सरल उपाय अपनाएँ


वास्तु शास्त्र कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन को ऊर्जा, संतुलन और समृद्धि प्रदान करने वाला मार्गदर्शन है। घर का नक्शा जब वास्तु के अनुसार बनाया जाता है, तो वह न केवल सुंदर और उपयोगी होता है, बल्कि उसमें सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बना रहता है। इससे घर में रहने वालों के स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, पारिवारिक संबंध और आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

यदि आप नया घर बना रहे हैं या मौजूदा घर में सुधार करना चाहते हैं, तो एक योग्य वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही नक्शा तैयार करें। यह एक दीर्घकालिक सुखद जीवन की नींव रख सकता है।


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Naveen
Naveen

Published on May 17, 2025


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